Wednesday, October 20, 2010

अरे:-अब तो शर्म करो नेताओं.............

"हम अपनी आँखों में गंगो जमन रखते है"
"तो जर्रे जर्रे को खिलता चमन रखते है"
एक ओर जब मजहबी दीवारों को खड़ा करके नेता अपनी सियासत को हवा दे रहे है तो फैजाबाद के लोगो ने जो काम किया उसे देखकर गंगा जमुनी तहजीब की सोंच रखने वाले कहने लगे है अरे नेताओं अब तो शर्म करो
फैजाबाद के ह्रदयस्थल चौक में स्थित वक्फ हसन रजाखान मस्जिद के ऊपर से मुस्लिम धर्मावलम्बियों ने दुर्गा शोभा यात्रा पर पुष्प वर्षा कर एक मिशाल कायम कर दी और हिन्दू मुस्लिम की राजनीति कर अपनी रोटी चला रहे नेताओं को सन्देश दे डाला की हम अमन पसंद और एक है....दुर्गा की मूर्तियों पर पुष्प वर्षा कर जो मिशल फैजाबाद के लोगों ने कायम की उसको देखकर अमूमन लोगों के दिलों से निकल रहा है अरे नेताओं अब तो शर्म करो!ऐसे जज्बे को मेरा सलाम
इन नेताओं के लिए मेरा सिर्फ यही कहना है
"जबां से करते हैं दिल से दुवा नहीं करते"
"ये सियासी लोग किसी का भला नहीं करते"
"वतन की मिटटी का कर्ज वो क्या चुकायंगे"
"जो अपनी माँ के दूध का हक़ अदा नहीं करते"

इन धर्म के ठेकेदारों से सावधान

कुछ मस्जिद और मदरसे धरम स्वयं का भूल गए
उन्मादी होकर वो जेहादी आंधी में डोल गए
कुछ मस्जिद अड्डा बन बैठी हैं हथियार छुपाने की
कुछ के माइक पर आवाजें आती हैं, इस्लाम बचाने की
ये आवाजें कहती है वो अब भी पूर्ण असिक्षित हैं
मुसलमान भारत से ज्यादा बोलो कहाँ सुरक्षित हैं

कवि अनल की ये लाइने उन धर्म के ठेकेदारों पर सही बैठती है जो अयोध्या जैसे कई विवादों पर हिन्दू मुस्लिम एकता को भड़काकर अपनी रोजी रोटी कमा रहे है धर्म के नाम पर ऐसे लोग देश की एकता अखंडता के लिए खतरनाक है ऐसे लोगो को किसी उच्च पद पर रहने का कोई हक़ नहीं जो देश की एकता को खतरे में डालकर गुलाम बनाना चाहते हो दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी भी शायद उसी राह पर चल रहे है तभी तो वह एक पत्रकार को जान से मार डालने पर उतारू हो गए मंदिर मस्जिद मुद्दे पर दोनों सम्प्रदाय के लोगो का जो रुख है उससे इमाम बुखारी जैसे लोगो की अपनी दूकान बंद होने का खतरा है और वो बौखला गए है ऐसे लोग उन हाथों में खेल रहे है जो कुर्सी और करेंसी के पुजारी है
इन लोगो को मै ये सन्देश देना चाहता हूँ
."मै न हिन्दू ना मुसलमान मुझे जीने दो,है दोस्ती मेरा पैगाम मुझे जीने दो''
"आओ सब मिलकर गिरा दें इन मजहबी दीवारों को, देखना अपना आँगन दो गुना हो जायेगा''
''किसको ''केसर'' पत्थर मारूं कौन पराया है,शीशमहल में हर इक चेहरा अपना सा लगता है''

Sunday, October 17, 2010

चित्रकूट में औरंगजेब ने बनवाया था बालाजी का मंदिर

मनोज तिवारी ''इन परिंदों से इनकी जात न पूछो कभी मंदिर में जा बैठे कभी मस्जिद में''
किसी सायर की ये लाइन मंदिर मस्जिद पर राजनीति करने वालो को करार जवाब देती अगर इन लोगो ने चित्रकूट में औरंगजेब द्वारा बनवाया बालाजी का मंदिर देख लिया होता तो यह धर्म के नाम पर लोगो को आपस में लड़वाने पर मजबूर न करते
चित्रकूट में रामघाट के पास मूर्तिभंजक शासक के नाम से मशहुर औरंगजेब ने हिन्दू संत रामदास के कहने से एक बालाजी का मंदिर बनवाया था जो आज हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक बनकर खडा है मंदिर में भोग प्रसाद के लिए औरंगजेब ने अपने खजाने से रोज एक रुपये की ब्यवस्था की थी और मंदिर के रखरखाव के लिए ८ गाँवो की जमीं दान कर दी थी साथ ही एक ताम्रपत्र देकर अपने आदेश को न केवल गजट किया था वरन आने वाले शासको से भी उसके आदेश को मानने की अपील की थी अंग्रेजी हुकूमत और अब सरकारें लगातार औरंगजेब के उस ताम्रपत्र पर मुहर लगाती चली आ रही है चित्रकूट से वापस आकर औरंगजेब में क्रन्तिकारी परिवर्तन आये वह न केवल धार्मिक हो गया वरन हिन्दुवों के मठ मंदिरों को न तोड़ने की कसम खाई/
आज देश को पुनः हिन्दू मुस्लिम उदाहरण के कुछ ऐसे ही मिले जुले रूप की जरूरत है जिससे लोगो के बीच अमन भाईचारे व प्यार हो ईस्वर अल्ल्लाह लोगो को सदबुधि दे ताकि देश की फिजा में किसी तरह का कोई ग्रहण न लगे मंदिरों में विश्व शांति की कामना और मस्जिदों में अमन की दुवा मांगने वाले हाथ आखिर यह क्यों भूल जाते है की झगडे फसाद में केवल और केवल स्वार्थी राजनेताओ का फायदा होता है मंदिर मस्जिद की इसी राजनीति ने जो पहले भी दंगे करवाए उनसे तमाम हजारों लोग आज भी नहीं उबर पाए है!राजनेताओ साथ मिलकर ईद दीपावली मनाने की हिन्दू मुस्लिम एकता को अब तो ग्रहण न लगाओ